किन्नर समाज की स्थिति पहले इतनी दयनीय नहीं थी । मुग़ल शासनकाल के समय ये सेना में थे व बादशाहों की रानियों के हरम में कार्य करते थे।सन् 1871 से पहले भारत में किन्नरों को ट्रांसजेंडर का अधिकार मिला हुआ था।परंतु अंग्रेजो के शासनकाल में उनसे उनका यह हक छीन लिया गया।1871 में उन्हें क्रिमिनल ट्राइब की श्रेणी में डाल दिया गया व उन्हें औपनिवेशक शासन के लिए कलंक बताया गया।
न ही इन्हें कही स्वीकार किया गया,न ही कार्य दिया गया।कोई भी किन्नरों को अपनाना नहीं चाहता था।
1951 में क्रिमिनल ट्राइब को हटा दिया गया परंतु किन्नरों को उनका हक नही मिल पाया।
2014 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को आधिकारिक तौर पर तीसरे लिंग के रूप में स्वीकार किया।