2014 में हुई गिनती के मुताबिक़, भारत में क़रीब पांच लाख लोग ऐसे हैं, जो ख़ुद को ट्रांसजेंडर या हिजड़ा कहते हैंl इन में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो मध्यलिंगी हैंl हिजड़ा समुदाय के बीच गुरु और चेलों के संबंध बेहद महत्वपूर्ण होते हैंl ये सभी एक परिवार की तरह ही साथ रहते हैंl उन के सामाजिक संगठन का ये बुनियादी सिद्धांत है l कई मायनों में हिजड़ों की ये गुरू-चेला परंपरा, संयुक्त हिंदू परिवारों की परंपरा से ही मेल खाती हैl हिजड़ा समुदाय के बीच, गुरू वो है जो सब को स्वीकार करे, उन्हें अपनी रोज़ी-रोटी कमाने का ज़रिया बताए और उन्हें रहने के लिए छत मुहैया कराएlअगर कोई मध्यलिंगी हिजड़ा समुदाय का सदस्य बनना चाहते है, तो उसे गुरू को दक्षिणा देनी होगी, फिर वो अपने चेले का नया नाम रखते हैं और अपने समुदाय में उस नए सदस्य को शामिल करते हैंl इनके लिये बिना गुरू के रहना ठीक वैसा है, जैसे आप बिना छत के मकान में रहते हों l